कबीर दास की सुप्रसिद्ध कविताएँ (दोहे)

कबीर दास की सुप्रसिद्ध कविताएँ (दोहे) 


1️⃣ "बड़ा हुआ तो क्या हुआ"  

    बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। 

    पंछी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥  


   📖 अर्थ: सिर्फ बड़े होने से कोई महान नहीं बनता। खजूर का पेड़ बहुत ऊँचा होता है, लेकिन उसकी छाया किसी को राहत नहीं देती और फल भी इतनी ऊँचाई पर लगते हैं कि कोई आसानी से उन्हें तोड़ नहीं सकता। इसी तरह, जो व्यक्ति समाज के लिए उपयोगी नहीं है, उसकी ऊँचाई व्यर्थ है।  



2️⃣ "माटी कहे कुम्हार से"  

    माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोहि।  

    एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोहि॥  


   📖 अर्थ: मिट्टी कुम्हार से कहती है कि तू मुझे पैरों से कुचलकर मेरे आकार को बदल रहा है, लेकिन एक दिन ऐसा आएगा जब तू भी मिट्टी में मिल जाएगा। यह दोहा जीवन की नश्वरता और मृत्यु की सच्चाई को दर्शाता है।  


3️⃣ "मन के हारे हार है"  

    मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।  

    कहैं कबीर हरि पाइए, मन ही के परतीत॥  


   📖 अर्थ: यदि कोई व्यक्ति मन से हार मान लेता है, तो वह सच में हार जाता है, और यदि वह अपने मन से जीतने का निश्चय कर ले, तो वह जीत जाता है। इसी तरह, ईश्वर भी मन की आस्था से ही प्राप्त होते हैं।  


4️⃣ "पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ"  

    पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय। 

    ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥  


   📖 अर्थ: सिर्फ किताबें पढ़ने से कोई ज्ञानी नहीं बनता। यदि कोई प्रेम (दयालुता, करुणा, और मानवता) को समझ ले, तो वही सच्चा ज्ञानी होता है।  


5️⃣ "दुर्बल को न सताइए"  

    दुर्बल को न सताइए, जाकि मोटी हाय।  

    बिना जीव की सांस से, लोहा भस्म हो जाय॥  


   📖 अर्थ: कमजोर और गरीब लोगों को सताना नहीं चाहिए, क्योंकि उनकी आह (बददुआ) बहुत ताकतवर होती है। यह कहावत इस बात को दर्शाती है कि सताए हुए लोगों की बद्दुआएँ किसी को भी बर्बाद कर सकती हैं।  


📌 कबीर दास से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर 📖  


🔹 प्रश्न 1: कबीर दास कौन थे और उनका जन्म कब हुआ था?  

✅ उत्तर: कबीर दास एक महान संत, कवि और समाज सुधारक थे। उनका जन्म 15वीं शताब्दी में वाराणसी (काशी) में हुआ था।  

🔹 प्रश्न 2: कबीर दास ने किस प्रकार के समाज की कल्पना की थी?  

✅ उत्तर: कबीर दास ने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी जो जाति, धर्म और भेदभाव से मुक्त हो। वे प्रेम, मानवता, और भक्ति पर जोर देते थे।  

🔹 प्रश्न 3: कबीर दास के दोहों की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?  

✅ उत्तर: कबीर के दोहों की प्रमुख विशेषताएँ:  

- सरल और सहज भाषा  

- जीवन की सच्चाई और व्यावहारिकता  

- समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और रूढ़ियों का विरोध  

- प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिकता पर जोर  


🔹 प्रश्न 4: कबीर ने किस पद्धति से भक्ति का प्रचार किया?  

✅ उत्तर: कबीर ने निर्गुण भक्ति मार्ग का प्रचार किया, जिसमें मूर्तिपूजा और कर्मकांड का विरोध किया गया है। वे सच्चे प्रेम और भक्ति में विश्वास रखते थे।  


🔹 प्रश्न 5: कबीर दास की शिक्षाएँ हमें क्या सिखाती हैं?  

✅ उत्तर: कबीर दास की शिक्षाएँ हमें सिखाती हैं कि:  

- ईश्वर किसी मंदिर या मस्जिद में नहीं, बल्कि हमारे मन में बसते हैं।  

- जात-पात और धर्म के झगड़ों से ऊपर उठकर मानवता को अपनाना चाहिए।  

- जीवन का वास्तविक ज्ञान अहंकार और मोह छोड़कर ही प्राप्त हो सकता है।  


अगर आपको और भी कबीर के दोहे या उनके ऊपर कोई विशेष जानकारी चाहिए, तो बताइए! 😊


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